Pen of Tabish

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लेखनी प्रतियोगिता -16-May-2022 "वो बेवफ़ा नहीं"

जो  मेरा   हो  कर  भी   मेरा  नहीं 
अब उस शख़्स से कोई गिला नहीं

आख़िरी मुलाक़ात कुछ देर और ठहरता मैं
मगर  उस शख़्स ने  रुकने  का  कहा  नहीं

ख़्वाब अब भी उनके, मगर हक़ीक़त ये है
अब  मैं  उसका नहीं  और  वो  मेरा  नहीं

ज़िन्दगी क़ैद-ए-बामशक़्क़त उनकी यादों में
ये तो जज़ा है मेरे लिए,  ये कोई  सज़ा  नहीं

मुद्दतों पहले उसके साथ हुआ शगुफ़्ता-रू
मुद्दतें  बीत  गई  बाद उसके  मैं हँसा नहीं

इक ऐसी बीमारी है जो लाइलाज है 
मरीज़-ए-इश्क़ को कभी शिफ़ा नहीं

वो  नहीं है  उनकी यादों से  पुर  है  ख़ला
किसी ग़ैर के लिए दिल में कोई जगह नहीं

होंगी ज़रूर मजबूरियाँ उस फ़र्द-ए-वफ़ा की
दिल मुतमईन है इस बात पर वो बेवफ़ा नहीं

ख़ामख़ाह डरते थे दोनों हिज्र के नाम पर 
वो भी ज़िन्दा है  देखो  मैं  भी  मरा  नहीं

रूह में उसका ख़ुमार  ज़िन्दा रहेगा  ता-उम्र
महज़ जिस्म का फासला कोई फासला नहीं

शब-ओ-सहर उसी के नाम का बोसा देते हैं ये लब
उसके हक़ में बेहतरी ना माँगूँ ऐसी कोई दुआ नहीं

तअल्लुक मर गया लेकिन मोहब्बत ज़िन्दा है ताबिश
मोहब्बत  वो  ज़िन्दाँ  है  जहाँ से मुमकिन  रिहा नहीं




जज़ा  Reward 
शगुफ़्ता-रू Blooming Face
पुर Full, Complete
ख़ला Space
फ़र्द-ए-वफ़ा A Loyal Person
मुतमइन Satisfied
ज़िन्दाँ Cage, Jail

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15 Comments

Anam ansari

17-May-2022 09:28 PM

👌👌

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Fareha Sameen

17-May-2022 09:09 PM

Nice

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Simran Bhagat

17-May-2022 08:17 PM

Very nice👌👌

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